Bhilwara News: भीलवाड़ा अब ऑर्गेनिक कॉटन यार्न का प्रमुख केंद्र बन गया है। फल, सब्जी, दालें और खाद्यान्न के बाद अब यहां ऑर्गेनिक तरीके से कॉटन यार्न तैयार किया जा रहा है। यह यार्न न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। भीलवाड़ा की पांच स्पिनिंग इकाइयां इस काम में जुटी हैं और हर महीने 20 हजार टन ऑर्गेनिक यार्न का उत्पादन कर रही हैं। सालाना यह आंकड़ा ढाई लाख टन तक पहुंच रहा है।
ऑर्गेनिक कॉटन की विदेशों में बढ़ रही मांग
ऑर्गेनिक कॉटन यार्न की मांग यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में तेजी से बढ़ रही है। निटेड फैब्रिक, सूती शर्टिंग और टाउजर बनाने वाले उद्योग इस यार्न को प्राथमिकता दे रहे हैं। विश्व का 50% ऑर्गेनिक कॉटन यार्न भारत में ही बनता है। इसके अतिरिक्त कजाकिस्तान और तुर्की भी उत्पादन में योगदान देते हैं। साधारण यार्न की तुलना में इसकी कीमत 40 से 50 रुपये प्रति किलो अधिक है।
ऑर्गेनिक कॉटन यार्न के फायदे
ऑर्गेनिक यार्न से बने कपड़े त्वचा पर एलर्जी नहीं करते। ये कपड़े गर्मी में भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। इस यार्न का धागा लंबा और टिकाऊ होता है। विदेशी कंपनियां इसे खरीदने से पहले जीओटीएस, यूएसडीए और ओईकेओ-टेक्स जैसे प्रमाणपत्र मांगती हैं।
जैविक कपास की खेती
ऑर्गेनिक कॉटन को प्राकृतिक तरीकों से उगाया जाता है, जिसमें किसी सिंथेटिक रसायन या ट्रांसजेनिक तकनीक का उपयोग नहीं होता। बीटी कॉटन के मुकाबले इसमें पानी की खपत कम होती है।
ऑर्गेनिक फैशन का बढ़ता रुझान
ऑर्गेनिक यार्न से तैयार कपड़े न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि इनमें जैविक और हर्बल फैशन का समावेश होता है। बैंबू फैब्रिक, खादी और ऑर्गेनिक कॉटन से बने परिधान आज के समय में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं।
भीलवाड़ा का योगदान
भीलवाड़ा की नितिन, आरएसडब्ल्यूएम, सुदिवा, लग्नम और संगम स्पिनर्स जैसी इकाइयां ऑर्गेनिक यार्न के उत्पादन और निर्यात में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।